प्रकाशित 2024-11-19
संकेत शब्द
- निरंतरवाद,
- सक्रिय अधिगम
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सार
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया और निरंतरवाद - सारांश
शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया एक जटिल और गतिशील संदर्भ है, जिसमें ज्ञान का आदान-प्रदान केवल एकतरफा नहीं, बल्कि एक आपसी, सक्रिय और निरंतर प्रक्रिया है। शिक्षण की प्रक्रिया में शिक्षक केवल मार्गदर्शक नहीं होता, बल्कि वह छात्रों के साथ मिलकर ज्ञान की सृष्टि में भागीदार बनता है। वहीं, अधिगम एक निरंतर, प्रासंगिक और जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया है, जो न केवल शैक्षिक संस्थानों तक सीमित रहती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में लागू होती है। इस संदर्भ में निरंतरवाद एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो यह मानता है कि सीखना केवल एक निश्चित समय तक नहीं होता, बल्कि यह जीवनभर चलता रहता है।
निरंतरवाद के अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य केवल सीमित ज्ञान देना नहीं, बल्कि व्यक्तित्व के समग्र विकास में योगदान करना है। यह सिद्धांत बताता है कि सीखने की प्रक्रिया तब तक जारी रहनी चाहिए जब तक व्यक्ति जीवन में है, ताकि वह सामाजिक, मानसिक और बौद्धिक दृष्टिकोण से निरंतर प्रगति करता रहे। शिक्षा और अधिगम की यह निरंतर प्रक्रिया व्यक्ति को अनुकूलनशील बनाती है, जिससे वह बदलती हुई दुनिया के साथ तालमेल बिठा सकता है और उसे अपने अनुभवों से सीखने की क्षमता मिलती है।