खंड 33 No. 04 (2013): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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राष्ट्रीय एकता के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा तथा शिक्षक की भूमिका

प्रकाशित 2024-11-29

संकेत शब्द

  • सामूहिकता,
  • सहिष्णुता

सार

राष्ट्रीय एकता देश की सामूहिक ताकत और उसकी अखंडता का आधार है। एकता केवल भौगोलिक सीमाओं या सांस्कृतिक विविधताओं की स्वीकृति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक साझा उद्देश्य, समान मूल्यों, और आपसी सम्मान की भावना से उत्पन्न होती है। ऐसे में शिक्षा और शिक्षक का योगदान राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह आर्टिकल राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में शिक्षा के महत्व और शिक्षक की भूमिका पर केंद्रित है। शिक्षा न केवल व्यक्तिगत विकास का एक साधन है, बल्कि यह समाज में समरसता, समझ और सहिष्णुता की भावना को भी बढ़ावा देती है। शिक्षक समाज के मार्गदर्शक होते हैं, जो छात्रों को उनके अधिकारों, कर्तव्यों और राष्ट्रीय एकता के महत्व के बारे में जागरूक करते हैं।

शिक्षक छात्रों में विविधता के बावजूद एकता की भावना पैदा करते हैं और उनके मन में देशभक्ति, सामाजिक समानता, और धर्मनिरपेक्षता के मूल्य स्थापित करते हैं। एक शिक्षक का यह कर्तव्य है कि वह छात्रों को राष्ट्रीय एकता के महत्व को समझाए और उन्हें एकजुट रहने की प्रेरणा दे। इसके लिए शिक्षक को ना केवल शैक्षिक ज्ञान देना चाहिए, बल्कि उनके विचारों और कार्यों में नैतिक और सांस्कृतिक मूल्य भी शामिल करने चाहिए, जो समाज में सौहार्दपूर्ण संबंधों को प्रोत्साहित करते हैं।