प्रकाशित 2024-11-29
संकेत शब्द
- आत्मविश्वास,
- सामाजिक सुधार
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सार
स्वामी विवेकानंद के शिक्षा संबंधी विचार भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे शिक्षा को केवल ज्ञान अर्जन का माध्यम नहीं, बल्कि व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास का एक सशक्त उपकरण मानते थे। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति में आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, और सामाजिक जिम्मेदारी का विकास करना चाहिए। उनके अनुसार, शिक्षा का मुख्य उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना है, जो केवल बौद्धिक ज्ञान तक सीमित नहीं, बल्कि आत्मा की सच्चाई को समझने और जीवन में उसका अनुप्रयोग करने की प्रक्रिया है।
इस लेख में स्वामी विवेकानंद के शिक्षा संबंधी विचारों की सार्थकता और प्रसंगिकता पर विस्तृत चर्चा की गई है। यह अध्ययन उनकी शिक्षा दृष्टि को आधुनिक शिक्षा पद्धतियों और समाज की वर्तमान आवश्यकताओं से जोड़ता है। स्वामी विवेकानंद का यह दृष्टिकोण कि शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर और सशक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है, आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक है। उनके विचारों में भारतीय संस्कृति और धर्म के महत्व को भी प्राथमिकता दी गई, जो आत्म-सम्पन्नता और समाज के सर्वांगीण विकास की दिशा में सहायक हो सकते हैं।