प्रकाशित 2024-11-19
संकेत शब्द
- बौद्धिक विकास,
- ज्ञान का स्रोत और स्वरूप
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सार
ज्ञानदर्शन और ज्ञानवाणी भारतीय शिक्षा परंपरा के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जो शिक्षा की गहरी समझ और प्रभावशीलता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। ज्ञानदर्शन का उद्देश्य ज्ञान के स्रोत, स्वरूप और उसके अस्तित्व से जुड़ी अवधारणाओं को समझना है, जबकि ज्ञानवाणी शब्दों के माध्यम से ज्ञान का संप्रेषण और उसे व्यवहार में लाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। दोनों ही तत्व शिक्षा के दार्शनिक दृष्टिकोण को विस्तृत करते हैं और विद्यार्थियों को न केवल जानकारी प्राप्त करने, बल्कि उसका सही उपयोग करने के लिए भी प्रेरित करते हैं।
ज्ञानदर्शन, शिक्षण की प्रक्रिया में न केवल बौद्धिक विकास को महत्वपूर्ण मानता है, बल्कि यह छात्रों को आत्म-ज्ञान, आध्यात्मिक विकास और जीवन के उद्देश्य की समझ भी प्रदान करता है। इसके माध्यम से, शिक्षक विद्यार्थियों को ज्ञान के गहरे स्तर पर सोचने और उनके जीवन में उसे लागू करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। वहीं, ज्ञानवाणी के द्वारा ज्ञान का सरल, प्रभावी और समझने योग्य रूप में विद्यार्थियों तक पहुंचाना संभव होता है। यह भाषा के माध्यम से छात्रों के सोचने के तरीके, संवाद कौशल और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है।