खंड 31 No. 04 (2011): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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विधलयीय पाठ्यक्रम ओर संगीत शिक्षा

प्रकाशित 2024-11-22

संकेत शब्द

  • विद्यालयी शिक्षा,
  • संगीत शिक्षा

सार

वर्तमान समय में विद्यालयी शिक्षा केवल बौद्धिक विकास तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इसमें विद्यार्थी के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए विभिन्न कलाओं और कौशलों को समाहित किया गया है। इसमें संगीत शिक्षा का विशेष स्थान है, जो बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण साधन बन चुका है। संगीत शिक्षा न केवल विद्यार्थियों को संगीत की कला से परिचित कराती है, बल्कि यह उनके रचनात्मकता, धैर्य, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, और टीमवर्क जैसे गुणों को भी विकसित करती है।

विद्यालयी पाठ्यक्रम में संगीत को एक वैकल्पिक विषय के रूप में नहीं बल्कि एक आवश्यक और अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया जा सकता है, जो बच्चों के समग्र विकास में सहायक होता है। संगीत शिक्षा विद्यार्थियों को भावनाओं की अभिव्यक्ति, सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी जोड़ती है। यह उन्हें विश्व की विभिन्न सांस्कृतिक धारा और संगीत की समृद्ध परंपराओं से अवगत कराती है, जिससे उनके दृष्टिकोण में विविधता और गहरी समझ का विकास होता है।