खंड 30 No. 02 (2009): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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समझे न, समझे पर समाज की भाषा को तो समझे

प्रकाशित 2024-11-13

संकेत शब्द

  • समुदायों और विचारधाराओं,
  • सामाजिक संदर्भ

सार

यह लेख समाज में भाषा की भूमिका और उसकी समझ को लेकर चर्चा करता है। भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक, सांस्कृतिक और मानसिक धारा भी है, जो समाज के विभिन्न वर्गों, समुदायों और विचारधाराओं को जोड़ती है। समाज की भाषा को समझना केवल शब्दों का अर्थ समझने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपे अर्थ, सामाजिक संदर्भ, और सांस्कृतिक पहचान को भी समझना आवश्यक है।

लेख में यह विचार व्यक्त किया गया है कि हम जब किसी समाज की भाषा या संवाद शैली को समझते हैं, तो हम उस समाज की मानसिकता, मूल्यों और आदतों को भी समझ पाते हैं। समाज की भाषा में न केवल शब्दों का, बल्कि भावनाओं, विचारों और आस्थाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह सामाजिक संरचना को प्रभावित करने और उसमें बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाती है।