प्रकाशित 2024-11-25
संकेत शब्द
- शिक्षा का अधिकार,
- भारतीय संविधान
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सार
शिक्षा का अधिकार एक बुनियादी मानव अधिकार के रूप में सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया गया है और इसे भारतीय संविधान में भी महत्व दिया गया है। यह अधिकार न केवल किसी व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने का साधन है, बल्कि यह समाज के समग्र विकास में भी अहम भूमिका निभाता है। इस अध्ययन का उद्देश्य शिक्षा के अधिकार की अवधारणा, इसके कानूनी आधार, और भारत में इसके कार्यान्वयन की स्थिति का विश्लेषण करना है।
शिक्षा का अधिकार (Right to Education - RTE) अधिनियम, 2009, भारतीय समाज में शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है, विशेष रूप से वंचित वर्गों, जैसे कि अनुसूचित जातियाँ, अनुसूचित जनजातियाँ, और अन्य सामाजिक रूप से हाशिए पर खड़े समुदायों के लिए। इस अध्ययन में शिक्षा के अधिकार के कानूनी और सामाजिक आयामों का विस्तार से विश्लेषण किया गया है, जिसमें इसकी उपलब्धता, गुणवत्ता, और समानता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
यह शोध यह भी दर्शाता है कि हालांकि शिक्षा का अधिकार एक कानूनी अधिकार बन चुका है, इसके प्रभावी कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं, जैसे अवसंरचना की कमी, शिक्षक प्रशिक्षण, और शिक्षा की गुणवत्ता में असमानता। इस लेख में यह भी समझाया गया है कि शिक्षा का अधिकार सिर्फ एक कागज पर लिखी बात नहीं है, बल्कि इसे एक जीवंत और सशक्त प्रणाली के रूप में समाज में उतारने के लिए कई व्यवस्थित उपायों की आवश्यकता है।