खंड 32 No. 03 (2012): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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शिक्षा का अधिकार और स्कूली शिक्षा की उनउपलब्धता, स्वीकार्यता एवं समाजव्स्था: (भोपाल जिले के विशेष संदर्भ में)

प्रकाशित 2024-11-29

संकेत शब्द

  • शिक्षा का अधिकार,
  • अनुपलब्धता

सार

शिक्षा का अधिकार (Right to Education - RTE) भारत सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिसका उद्देश्य सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। बावजूद इसके, कई क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच, स्वीकार्यता और गुणवत्ता अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। विशेष रूप से भोपाल जिले में, जहां शहरी और ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के वितरण में असमानताएँ और भिन्नताएँ देखने को मिलती हैं, यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है।

यह लेख भोपाल जिले के संदर्भ में शिक्षा का अधिकार, स्कूली शिक्षा की उपलब्धता, उसकी स्वीकार्यता, और समाज व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करता है। इसमें यह देखा गया है कि शिक्षा की अनुपलब्धता, खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में, किस प्रकार बच्चों के शिक्षा प्राप्ति के अवसरों को सीमित करती है। साथ ही, यह भी ध्यान में रखा गया है कि विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारक स्कूली शिक्षा को लेकर परिवारों की मानसिकता और दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं, जिससे शिक्षा की स्वीकार्यता में कमी आ सकती है।

इस अध्ययन में यह भी जांच की गई है कि शिक्षा के अधिकार कानून के प्रभावी कार्यान्वयन में क्या रुकावटें आ रही हैं, और समाज में इसके प्रति जागरूकता और समर्थन में कैसे सुधार किया जा सकता है। लेख में विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी प्रयासों, जैसे कि स्कूलों की पहुंच, प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव, और अभिभावकों की मानसिकता, पर चर्चा की गई है, जो शिक्षा की गुणवत्ता और समानता को प्रभावित करते हैं।