खंड 32 No. 03 (2012): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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लोकनायक जयप्रकाश नारायण का शिक्षा दर्शन

प्रकाशित 2024-11-29

संकेत शब्द

  • शिक्षा दर्शन,
  • समाज सुधार

सार

लोकनायक जयप्रकाश नारायण, भारतीय राजनीति के एक महान नेता और समाज सुधारक, न केवल अपने राजनीतिक आंदोलनों के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपने दृष्टिकोण और विचार प्रस्तुत किए। उनका शिक्षा दर्शन समाज की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुरूप था, और उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल बौद्धिक विकास नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक विकास भी होना चाहिए। इस आर्टिकल का उद्देश्य जयप्रकाश नारायण के शिक्षा दर्शन का गहन विश्लेषण करना है और यह समझना है कि उनके विचार आज के समय में शिक्षा नीति और समाज के लिए कितने प्रासंगिक हैं।

जयप्रकाश नारायण का शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण मानवतावादी और लोकतांत्रिक था। उनका विश्वास था कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझाने, आत्मनिर्भर बनाने और समाज में सक्रिय रूप से योगदान देने के लिए तैयार करना है। वे शिक्षा को केवल रोजगार प्राप्ति का साधन नहीं मानते थे, बल्कि इसे एक व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास का माध्यम मानते थे। उनके अनुसार, शिक्षा में केवल ज्ञान का संचय नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक मूल्यों की स्थापना भी महत्वपूर्ण है।