प्रकाशित 2024-11-19
संकेत शब्द
- समाज और व्यक्तित्व का विकास,
- शैक्षिक दबाव
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सार
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारतीय शिक्षा के महान चिंतक और दार्शनिक, ने शिक्षा के माध्यम से समाज और व्यक्तित्व के समग्र विकास की बात की। उनके शिक्षा चिंतन में शिक्षक के महत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है। राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षक न केवल ज्ञान देनेवाला होता है, बल्कि वह विद्यार्थियों के मानसिक और नैतिक विकास में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। उन्होंने शिक्षा को एक जीवनदायिनी प्रक्रिया के रूप में देखा, जो विद्यार्थियों में मानवता, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी का संस्कार करती है।
वर्तमान समय में, शिक्षकों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि बढ़ती हुई विद्यार्थियों की संख्या, अत्यधिक शैक्षिक दबाव, तकनीकी विकास के साथ तालमेल बैठाना, और छात्रों की विविध जरूरतों को पूरा करना। इन समस्याओं के समाधान के लिए राधाकृष्णन के शिक्षा चिंतन को अपनाया जा सकता है। उन्होंने यह प्रस्तावित किया कि शिक्षक को केवल एक शासक के रूप में नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक, सहायक और प्रेरक के रूप में कार्य करना चाहिए। इसके अलावा, राधाकृष्णन ने शिक्षक-छात्र संवाद को भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना, क्योंकि यह रिश्ते में सामंजस्य और समझ को बढ़ावा देता है।