प्रकाशित 2024-11-29
संकेत शब्द
- ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा,
- शिक्षा में सुधार,
- बुनियादी शिक्षा
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सार
यह लेख "गांधी जी और उनकी शिक्षा नीति" पर आधारित है, जो महात्मा गांधी के शिक्षा संबंधी दृष्टिकोण और उनकी शिक्षा नीति के महत्व पर चर्चा करता है। गांधी जी का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबों से ज्ञान प्राप्त करना नहीं, बल्कि व्यक्ति की सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना है। उनके अनुसार, शिक्षा का प्राथमिक लक्ष्य आत्मनिर्भरता, नैतिक मूल्य और समाज की सेवा के लिए तैयार करना था। लेख में गांधी जी की "नैतिक और चरित्र आधारित शिक्षा" के सिद्धांतों की व्याख्या की गई है, जिसमें उनके "नैतिकता, स्वदेशी शिक्षा, और हाथ से काम करने" पर जोर दिया गया था।
गांधी जी ने शिक्षा को "स्वदेशी" और "जीवन के लिए उपयोगी" बनाने पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि ग्रामीण युवाओं में आत्मनिर्भरता और सामाजिक जागरूकता का विकास हो। लेख में यह बताया गया है कि गांधी जी की शिक्षा नीति ने पारंपरिक शिक्षण पद्धतियों को चुनौती दी और एक ऐसा शिक्षा मॉडल प्रस्तुत किया जो विद्यार्थियों को समाज के लिए जिम्मेदार नागरिक बनाने पर केंद्रित था।