Vol. 30 No. 03 (2010): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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स्वामी विवेकानंद के शिक्षक चिंतन की प्रासंगिकता

Published 2024-11-19

Keywords

  • समाज के प्रति संवेदनशीलता,
  • शिक्षक की भूमिका

How to Cite

स्वामी विवेकानंद के शिक्षक चिंतन की प्रासंगिकता. (2024). भारतीय आधुनिक शिक्षा, 30(03), 45-50. http://45.127.197.188:8090/index.php/bas/article/view/102

Abstract

स्वामी विवेकानंद ने भारतीय शिक्षा के मूल्यों को फिर से जीवित किया और शिक्षक के महत्व को अपनी शिक्षाओं के केंद्र में रखा। उन्होंने शिक्षा को आत्मविकास और आत्मबोध का मार्ग माना। विवेकानंद के अनुसार, शिक्षक का कार्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के भीतर आत्मविश्वास, चरित्र निर्माण और समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव विकसित करना है। उन्होंने शिक्षा को केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रखकर, व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास की दिशा में देखा। उनका मानना था कि शिक्षक को प्रेरक और आदर्श बनना चाहिए, ताकि वह विद्यार्थियों को न केवल विद्या में, बल्कि जीवन के प्रत्येक पहलू में सफलता की ओर मार्गदर्शन कर सके।

स्वामी विवेकानंद के शिक्षा चिंतन की प्रासंगिकता आज भी अत्यधिक है। वर्तमान समय में, जहाँ शिक्षा केवल नौकरी प्राप्ति का एक साधन बनकर रह गई है, विवेकानंद का यह दृष्टिकोण हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षा का असली उद्देश्य मानसिक, नैतिक और आत्मिक उन्नति है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा वह है जो मनुष्य को आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और समाज के प्रति संवेदनशील बनाती है।