Vol. 33 No. 04 (2013): भारतीय आधुनिक शिक्षा
EDITORIAL NOTE

नयी साधी मै भारत की शिक्षा व्यवस्था दशा एवं दिशा

Published 2024-11-29

Keywords

  • डिजिटल शिक्षा,
  • कौशल आधारित शिक्षा

How to Cite

नयी साधी मै भारत की शिक्षा व्यवस्था दशा एवं दिशा . (2024). भारतीय आधुनिक शिक्षा, 33(04), p. 29-34. http://45.127.197.188:8090/index.php/bas/article/view/1100

Abstract

यह लेख भारत की शिक्षा व्यवस्था की वर्तमान स्थिति (दशा) और भविष्य की दिशा (दिशा) पर विचार करता है। 21वीं सदी में, शिक्षा एक महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण बन गई है, और इस लेख में यह चर्चा की गई है कि कैसे भारत की शिक्षा व्यवस्था ने बीते समय में प्रगति की है, लेकिन साथ ही इसमें सुधार की आवश्यकता भी बनी हुई है।

मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  1. वर्तमान दशा: भारत की शिक्षा व्यवस्था ने पिछले कुछ दशकों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, जैसे सार्वभौमिक शिक्षा, डिजिटल शिक्षा की शुरुआत, और शिक्षा में विभिन्न सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन। हालांकि, कई क्षेत्रों में गुणवत्ता की कमी, समावेशन की समस्या और उच्च शिक्षा की उपलब्धता जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।

  2. चुनौतियाँ: लेख में बताया गया है कि शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक असमानताएँ हैं, जैसे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच, लड़कियों और लड़कों के बीच, और विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच। इसके अलावा, शिक्षा प्रणाली में बहुत से मुद्दे हैं जैसे पठन-पाठन की गुणवत्ता, शिक्षकों की कमी, और नियोक्ता की आवश्यकता के अनुसार कौशल प्रशिक्षण का अभाव।

  3. नई दिशा: भारत की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कुछ नई दिशा-निर्देश प्रस्तुत किए गए हैं, जैसे समावेशी शिक्षा, डिजिटल शिक्षा का विस्तार, और कौशल आधारित शिक्षा। इसके अलावा, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 का उद्देश्य है, शिक्षा को छात्रों के समग्र विकास और 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना।

  4. समाज और सरकार की भूमिका: शिक्षा में सुधार के लिए समाज, सरकार, और निजी क्षेत्र के सहयोग की आवश्यकता है। इसमें बुनियादी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, सबकी भागीदारी और निवेश जरूरी है ताकि शिक्षा प्रणाली सभी वर्गों के लिए समान रूप से सुलभ हो।