Published 2024-11-21
Keywords
- शिक्षा का मौलिक अधिकार,
- आर्थिक असमानताएँ
How to Cite
Abstract
भारत में शिक्षा का मौलिक अधिकार (RTE Act) 2009 में संविधान में शामिल किया गया, जिसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। यह एक ऐतिहासिक कदम था, जो शिक्षा को एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देता है। हालांकि, इस अधिकार के कार्यान्वयन के बाद कई मुद्दे और चुनौतियाँ सामने आई हैं, जिन्हें हल करना आवश्यक है।
इस शोध में शिक्षा के मौलिक अधिकार के तहत प्रमुख सामाजिक, आर्थिक और संरचनात्मक चुनौतियाँ पर प्रकाश डाला गया है। इनमें शिक्षा के संसाधनों की कमी, शिक्षकों की गुणवत्ता और प्रशिक्षण, शिक्षण सुविधाओं का अभाव, और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच असमानता जैसी समस्याएँ शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, सामाजिक भेदभाव, विकलांग बच्चों के लिए विशेष सुविधाओं का अभाव, और प्राथमिक शिक्षा तक सीमित पहुँच ने इस अधिकार के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधाएँ उत्पन्न की हैं।
शोध में यह भी पाया गया है कि, जबकि RTE Act एक कानूनी प्रावधान है, इसकी सफलता इसके समाजिक और प्रशासनिक समर्थन पर निर्भर करती है। शिक्षक प्रशिक्षण, स्थानीय प्रशासन की सक्रियता, और प्रभावी नीति निर्माण के बिना, इस अधिकार का वास्तविक लाभ सभी बच्चों तक पहुँच पाना मुश्किल है।
अंततः, यह अध्ययन शिक्षा के अधिकार को समानता, समावेशन और गुणवत्ता के दृष्टिकोण से लागू करने के लिए संवेदनशील और समग्र नीति बनाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर बच्चा शिक्षा प्राप्त कर सके, चाहे वह किसी भी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से हो।