Vol. 32 No. 03 (2012): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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प्रथमिक स्तर पर विद्यालयों मै लोच न्मयत का विकास प्रत्यय, विशेषताएं व अधियापक की भूमिका

Published 2024-11-29

Keywords

  • प्राथमिक शिक्षा,
  • मानसिक मजबूती

How to Cite

प्रथमिक स्तर पर विद्यालयों मै लोच न्मयत का विकास प्रत्यय, विशेषताएं व अधियापक की भूमिका . (2024). भारतीय आधुनिक शिक्षा, 32(03), p. 99-104. http://45.127.197.188:8090/index.php/bas/article/view/861

Abstract

प्राथमिक शिक्षा बच्चों के शैक्षिक और मानसिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरण है। इस स्तर पर बच्चों में लोच या संकटों का सामना करने की क्षमता का विकास विशेष महत्व रखता है। लोच नामयत का तात्पर्य है जीवन में आने वाली समस्याओं, तनावों और चुनौतियों का सामना करने, उनसे सीखने और आगे बढ़ने की क्षमता। यह अध्ययन प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों में लोच के विकास, इसके प्रत्यय, विशेषताओं और अध्यापक की भूमिका पर केंद्रित है।

इस लेख में लोच के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है, जैसे कि मानसिक मजबूती, आत्मविश्वास, सामाजिक समर्थन और समस्या समाधान क्षमता। बच्चों में यह गुण प्राकृतिक रूप से उत्पन्न नहीं होते, बल्कि इन्हें वातावरण और शिक्षा के माध्यम से विकसित किया जा सकता है। विशेष रूप से, विद्यालय में अध्यापक का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि शिक्षक बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के मार्गदर्शक होते हैं। वे बच्चों को ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित करते हैं, जो उनके विकास में सहायक होती हैं।