खंड 57 No. 1 (2019): Indian Educational Review
ERIC PROJECTS

उच्च प्राथमिक स्तर पर संस्कृत भाषा शिक्षा पाठ्यक्रम के क्रियान्वयन का गहन अध्ययन : An In-depth Study of Implementation of Sanskrit Language Curriculum at the Upper Primary Stage

प्रकाशित 2025-01-21

सार

संस्कृत भाषा के संबंन्ध में एक सर्वस्वीकृत मान्यता है कि यह केवल एक भाषा मात्र न होकर भारत की आत्मा है। संस्कृत भाषा एवं साहित्य, जीवन के सभी पक्षों पर आधारित ज्ञान का विशाल आगार है। भूत एवं वर्तमान के समन्वयन, पुरातन साहित्य की ज्ञान सपंदा को समझने, नवाचार के नवीनतम उपायों की खोज तथा भारत को ज्ञान आधारित विश्व के आर्थिक परिदृश्य और ज्ञान समाज के संदर्भ में संस्कृत की सर्वाधिक अपरिहार्यता है। प्राचीन काल से ही संस्कृत भारतीय भाषाओं के साथ सह-अस्तित्व में विकसित हुई है तथा भारत की एकता और अखंडता में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत के समावेशी प्रतिदर्श में संस्कृत साहित्य का विशेष योगदान है जिसे लोकप्रिय बनाकर प्रबलीकृत करने की आवश्यकता है। संस्कृ भाषा का भारतीय शिक्षा प्रणाली में अद्वितीय स्थान है। यह भाषा आधुनिक और शास्त्रीय / परपंरागत भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। विद्यालयों में विद्यार्थियों का बड़ा समूह प्रथम/द्वितीय/तृतीय भाषा के रूप में संस्कृत का अध्ययन कर रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर एनसीईआरटी के द्वारा पाठ्यचर्या/ पाठ्यवस्तु का निर्माण किया जाता है। यह जानना ज़रूरी है कि पाठ्यक्रम (1992) यह स्पष्ट करता है कि किस प्रकार वास्तविक तथा वांछित परिवर्तन लाने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या आवश्यक है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 (National Curriculum Framework) के आलोक में विकसित किए गए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों तथा संस्कृत के पठन-पाठन को समझने के लिए शोध कार्य अपेक्षित है।