बच्चे अपनी सहजवृत्तियों के द्वारा बहुत कुछ सीखते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षाक उन्हें इसके अवसर दें। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 भी ज्ञान को बाहर की दुनिया से जोड़ने का सुझाव देती है। वास्तव में सिर्फ किताबी सूचनाओं का संप्रेषण ही ज्ञान नहीं है बल्कि वास्तविक जीवन में उसके उपयोग मायने रखते हैं। उक्त आलेख बच्चों के आरंभिक जीवन में स्व अनुभव के द्वारा सीखने पर आधारित है।