खंड 34 No. 3-4 (2010): प्राथमिक शिक्षक
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संस्कृति की धरोहर है : बालगीत और लोरियाँ

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प्रकाशित 2024-11-27

संकेत शब्द

  • संस्कृति,
  • भारतीय संस्कृति,
  • बालगीत,
  • लोरियाँ

सार

नन्हें बच्चों को कहानी कविता जितनी रसमय लगती है उतनी ही उन्हें लोरियां और बालगीत भी सरस लगते हैं। परंतु आज जीवन की भागदौड़ में माता - पिता के कामकाजी होने के करण ये लोरियां और बाल गीत विलुप्त से होते जा रहे हैं। इन्हीं बालगीतों और लोरियों को शिक्षा से जोड़ते हुए कक्षाओं तक ले जाया जा सकता है इसके मध्यम से बच्चे न केवल सहज रूप से जानकारी ग्रहण करते हैं। बल्की जानकारी ग्रहण करना उनके लिए रोचक भी बन जाता है। इसलिए जरूरी है कि इन विलुप्तप्राय: लोरियों एवं गीतों को संकलित किया जाए। इसे संदर्भ में हुए एक लघु शोध की रिपोर्ट यहाँ प्रस्तुत है।