प्रत्येक बच्चे के लिए समय निकालना और उसके बारे में सोचा उसके संघर्ष में साथ देना, उसके सम्मान और भावनाओं की कद्र करना, हर जूझते हुए बच्चे के पास तुरंत पहुंचना, यह सब करना हर शिक्षक के लिए जरूरी है। यह सब हर शिक्षक कर भी सकता है! अगर उसके मन में भी अपने काम के लिए इस तरह का जुनून हो जैसे कि हर मरीज के लिए डॉ. मुलर के मन में!