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Published 2024-11-27
Keywords
- संस्कृति,
- भारतीय संस्कृति,
- बालगीत,
- लोरियाँ
How to Cite
संस्कृति की धरोहर है : बालगीत और लोरियाँ . (2024). प्राथमिक शिक्षक, 34(3-4), p.65-69. http://45.127.197.188:8090/index.php/pp/article/view/223
Abstract
नन्हें बच्चों को कहानी कविता जितनी रसमय लगती है उतनी ही उन्हें लोरियां और बालगीत भी सरस लगते हैं। परंतु आज जीवन की भागदौड़ में माता - पिता के कामकाजी होने के करण ये लोरियां और बाल गीत विलुप्त से होते जा रहे हैं। इन्हीं बालगीतों और लोरियों को शिक्षा से जोड़ते हुए कक्षाओं तक ले जाया जा सकता है इसके मध्यम से बच्चे न केवल सहज रूप से जानकारी ग्रहण करते हैं। बल्की जानकारी ग्रहण करना उनके लिए रोचक भी बन जाता है। इसलिए जरूरी है कि इन विलुप्तप्राय: लोरियों एवं गीतों को संकलित किया जाए। इसे संदर्भ में हुए एक लघु शोध की रिपोर्ट यहाँ प्रस्तुत है।