Published 2024-11-27
Keywords
- प्राथमिक शिक्षा,
- गुणवत्ता संवर्धन,
- शिक्षा के सार्वभौमीकरण
How to Cite
Abstract
आजादी प्राप्त करने के पश्चात हमारे देश में प्राथमिक शिक्षा का जैसा विस्तार हुआ वैसा किसी अन्य देश में नहीं हुआ। अब तक शिक्षा के विकास के लिए अथक प्रयास तथा अनेक संसाधन जुटाए गए हैं। विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी प्रयासों द्वारा शिक्षा के विस्तार में कई गुना वृद्धि भी हुई, किंतु शिक्षा में अपेक्षित स्तर पर गुणवत्ता संवर्धन नहीं हो सका। प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए प्रथम आवश्यकता है, शत प्रतिशत बच्चों के लिए विद्यालय उपलब्ध कराना, द्वितीय आवश्यकता है शत प्रतिशत बच्चों को विद्यालय में रोके रखना एवं उन्हें अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण करना। परंतु विडंबना यह है कि हमारे देश में नामांकन के बाद भी विद्यार्थी बीच में ही विद्यालय छोड देते हैं। प्राथमिक शिक्षा के लोकव्यापीकरण के मार्ग में अपव्यय की समस्या सबसे गंभीर बाधा है। इसके प्रमुख कारणों में लैंगिक भेदभाव, अशिक्षा, गरीबी, जाति- वर्ग, विद्यालयों में संसाधनों का अभाव, कर्तव्य निष्ठा की कमी, घरेलू कार्य, जागरूकता का अभाव, अभिभावकों की उदासीनता आदि है। इन कारणों को दूर किए बिना विद्यालय छोड़ने की समस्या से छुटकारा नहीं मिल पाएगा।