Published 2024-11-29
Keywords
- समावेशी शिक्षा,
- साक्षरता दर
How to Cite
Abstract
किसी भी राष्ट्र का संपूर्ण विकास तभी संभव है, जब राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति का सर्वांगीण विकास हो तथा प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र के निर्माण में अपना व्यक्तिगत योगदान दे सके| भारत जैसे विविधता वाले देश में सरकार दिव्यांगजनों के शैक्षिक स्तर में उत्थान के लिए समय-समय पर अनेक नीतियों तथा योजनाओं का निर्माण करती रहती है| इसके साथ ही शिक्षा के सभी स्तरों पर दिव्यांगजनों को समान अवसर प्रदान करने के लिए विभिन्न कदम भी उठाती रही है, इसके बावजूद दिव्यांगजनों को शिक्षा प्राप्ति के पथ में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है| प्रस्तुत शोध कार्य के दो प्रमुख उद्देश्य हैं : (1) भारत में दिव्यांगजनों की साक्षरता दर को आधार मानते हुए इनकी शैक्षिक स्थिति को जानना तथा (2) दिव्यांगजनों की शिक्षा में आने वाली चुनौतियों एवं इनके निराकरण का अध्ययन करना था| प्रथम उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शोधार्थियों ने भारत की जनगणना 2011 से सम्बंधित दस्तावेज तथा दिव्यांगजनों की शिक्षा से संबंधित अन्य प्रतिवेदनों का विषयवस्तु विश्लेषण किया| द्वितीय उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर अध्यन्नरत 22 दिव्यांग विद्यार्थियों तथा 10 विशिष्ट शिक्षकों का अर्ध-सरंचित साक्षात्कार लिया| शोध कार्य मे विषयवस्तु के विश्लेषण तथा अर्ध-सरंचित साक्षात्कार से प्राप्त आकड़ों का विश्लेषण उपरांत पाया गया कि भारत में दिव्यांगजनों की शैक्षिक स्थिति संतोषजनक नहीं है| दिव्यांगजनों की शिक्षा में माता-पिता तथा समाज की जागरूकता की कमी है, अनुचित पाठ्यक्रम है व अनुकूलन और समेक्षित शिक्षा के प्रति शिक्षकों तथा प्रशासनिक मददगार नहीं हैं अधिकारियों, माता-पिता, साथियों एवं नीति निर्धारकों की ऐसी अभिवृति संवेदनपूर्ण नहीं है| साथ ही विद्यालय का वातावरण, पारिवारिक सहयोग में कमी है तथा अनेक शैक्षणिक तथा प्रशासनिक चुनौतियाँ हैं, जो दिव्यांगजनों की शैक्षिक स्थिति तथा उनकी साक्षरता दर की प्रगति में बाधक सिद्ध होती हैं|