कक्षा में किस प्रकार व्यवहार में लाई जाए पाठ्यपुस्तक : सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-1 कक्षा 6 के लिए सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के विशेष सन्दर्भ में
प्रकाशित 2024-12-03
संकेत शब्द
- सामाजिक विज्ञान,
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्
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सार
भारत में स्कूली व्यवस्था के विवेचनात्मक अध्ययन से यह स्पष्ट होता है की यह एक प्रकार की कठोर व्यवस्था के अंतर्गत संचालित हो रही है। यह इस प्रकार की शिक्षा उपलब्द्ध करा रही है जिसमें पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम और पाठ्यपस्तकों को विकसित करने की पद्धतियाँ परीक्षा प्रणाली के पैटर्न और जरूरतों पर आधारित हैं न कि शिक्षा के लक्ष्य, अधिगम की जरूरतों एवं बच्चे के सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक परिवेश जैसी मिली-जुली कसौटियों पर। पाठ्यचर्या को अति सरल शब्दों में अभिव्यक्त किया जाए तो कहा जा सकता है कि ‘पाठ्यचर्या शिक्षा के उद्शदे्यों को प्राप्त करने की योजना है, जिसमें शैक्षिक उद्शदे्यों के मद्देनज़र अधिगमकर्ता की दृष्टि से प्राप्य ज्ञान, कौशल एवं अभिवृत्ति संबंधी मूल्यों का विवरण दिया गया होता है। इसके साथ-साथ इसमें पाठ्यक्रम, पाठ्य सामग्री, शिक्षण विधियों एवं मूल्यांकन के तौर-तरीकों के बारे में स्पष्ट निर्देश समाहित होते हैं।’ पाठ्यक्रम यह बताता है कि विषयवस्तु के हिसाब से क्या पढ़ाया जाए और किस विशिष्ट उद्शदे्यों के मद्देनज़र किस तरह के ज्ञान, कौशल और अभिवृत्तियों को ख़ास बढ़ावा मिले। पाठ्यपस्तक बच्चों के अनुभवों को व्यवस्थित ज्ञान में बदलने का एक साधन है, इसमें बच्चे की कक्षा के स्तर के अनरूपु विषय सामग्री एवं गतिविधियों को बच्चों के मनोवैज्ञानिक स्तर एवं शिक्षणशास्त्रीय सिद्धांतों के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है। वर्तमान परिदृश्य में न चाहते हुए भी पाठ्यपस्तकों ने हमारी शिक्षा प्रणाली में केन्द्रीय स्थान प्राप्त कर लिया है। अतः अध्यापक के लिए पाठ्यपस्तक को इस तरह से उपयोग में लाना ज़रुरी है की विषय की पाठ्यचर्या के अधिकतम संभव उद्शदे्यों की प्राप्ति हो सके , इसके दृष्टिगत इस आलेख में यह जानने-समझने का प्रयास किया गया है कि कक्षा 6 में सामाजिक विज्ञान विषय की एक पाठ्यपस्तक 'सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-1’ को कक्षा में कै से व्यवहार में लाया जाए।