खंड 6 No. 2 (2018): Voices of Teachers and Teacher Educators
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कैसे लिखी हमने गणित की पाठ्यपुस्‍तकें

प्रकाशित 2024-11-22

संकेत शब्द

  • गणित,
  • समीक्षा रिपोर्ट

सार

इस आलेख में यह स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है कि पाठ्यपस्तक लेखन के लिए आवश्‍यक अंतर्दृष्टि के विकास की प्रक्रिया से गुजरते हुए किस तरह छत्तीसगढ़ में गणित की पाठ्यपस्‍तुकों के लेखन का कार्य पूर्ण हुआ। इसलिए यह आलेख शिक्षक एवं शिक्षक-प्रशिक्षकों के लिए, अध्ययन-अध्यापन की बेहतर समझ विकसित करने में उपयोगी सिद्ध होगा। हालांकि, किसी भी पाठ्यपस्तक में सुधार की सभावना बनी रहती है, अतः त्रुटिरहित लेखन या पूर्णता का दावा नहीं किया जा सकता। इसलिए पाठ्यपस्तक लेखन, एक  निरंतर चलने वाली प्रक्रिया मानी जाती है। पर्वू प्रचलित पाठ्यपस्तक की तुलना  में नवीन पाठ्यपस्तक का लेखन कार्य नए दृष्टिकोण के साथ किया गया, इसलिए शिक्षकों के बीच इसकी स्वीकार्यता एवं उनके अनुभव के सबंध में कुछ शिक्षकों से चर्चा की गई। यह चर्चा उत्साह जगाने में मददगार सिद्ध हुई। इस लेखन कार्य संबंघित ऐसे ही कुछ अनभवों का समावेश इस आलेख में किया गया है। मुझे 2014 में छत्तीसगढ़ में कक्षा 9वीं एवं 10वीं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए नवीन पाठ्यपस्तुक लेखन के लिए राज्य शैक्षिक अनसुंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, छत्तीसगढ़, रायपुर द्वारा चयनित लेखक-दल के सदस्य के रुप में कार्य करने का अवसर मिला। 10 सितम्बर 2014 को परिषद में आयोजित कार्यशाला के प्रतिभागियों में से लेखकों का चयन किया गया था। माध्यमिक स्तर पर पाठ्यपस्तक लेखन के लिए विषय की प्रकृति एवं विषयवस्तु की अपेक्षाकृत गहरी समझ, व्यापक दृष्टिकोण, अध्येता एवं अध्यापक के मनोविज्ञान की अच्छी समझ इत्यादि के संबंध में लेखकों की उन्मुखीकरण की रोचक कार्यशाला में समूह कार्यपर प्रत्येक समूह की खुली तार्किक चर्चा के ने अंतरदृष्टि विकसित करने में मदद की। पाठ्यपस्तक लेखन के लिए पाठ्यक्रम के निर्धारण के लिए तत्समय राज्य में प्रचलित कक्षा 9वीं की एस.सी.ई.आर.टी की पाठ्यपस्तक के अलावा एन.सी.ई.आर.टी और विभिन्न राज्यों की प्रचलित पाठ्यपस्तकों में भी पाठ्यक्रम के विकास का सूक्षमता से तुलनातमक अध्ययन के पश्‍चात्त् पाठ्यक्रम की रुपरेखा तैयार कर प्रो. हृदयकांत दीवान के मार्गदर्शन में लेखक दल द्वारा पाठ्यपस्तक के पाठों का लेखन कार्य किया गया। आलेख में इस प्रक्रिया का वर्णन करने का प्रयास किया गया है। यह लेखन कार्य एस.सी.ई.आर.टी. के तत्कालीन संचालक, विषय समन्वयक एवं लेखक-दल के सदस्यों के अलावा विद्याभवन शिक्षा संदर्भ केन्द्र, सरस्वती शिक्षा संस्थान, छत्तीसगढ़ और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के साथियों के सहयोग के टीम-वर्क के रूप में पूर्ण हुआ।