प्रकाशित 2024-11-26
संकेत शब्द
- शिक्षा प्रोत्साहन केंद्र,
- लोकतांत्रिक विधालय
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सार
एकलव्य ने पिछले 30 सालों में शिक्षकों के साथ पाठ्यक्रम विकास और प्रशिक्षण आदि का कई तरीकों से काम किया है। लेख शिक्षक-विकास पर शोध–साहित्य की मदद से इन अनभवों की समीक्षा करता है। इसमें एक अहम सवाल की पड़ताल की गई है कि शिक्षकों से बदलाव की अपेक्षाएं किस आधार पर की जाती हैं? क्या वे अपेक्षाएं अनचुित हैं? क्या शिक्षक को एक व्यक्ति के रूप में हम समझ व स्वीकार कर पाते हैं? इन सवालों पर गौर करते हुए यह समझने की जरूरत है कि शासन की या किसी भी कार्यक्रम की तात्कालिक जवाबदारियां निभाने में शिक्षकों को अपने विकास के सीमित मौके मिल पाते हैं। इसके लिए लंबी दुरी के प्रयासों की जरूरत है जिनमें शिक्षकों को अपने शिक्षण-अनभवों पर स्वयंम विमर्श करने के लिए नियमित अवसर मिलें। सोचना यह है कि ऐसे अवसरों को बनाने में क्या शासन तंत्र के प्रावधान काफी होंगे या उनके लिए अशासकीय संसाधनों का भी सहयोग लिया जाना चाहिए।